Tuesday, February 4, 2025

महाकुंभ




भारतवर्ष में कुंभ मेले का आयोजन एक आदिकाल से चली आ रही संस्कृति है। कुंभ मेले के आयोजन की अपनी एक अलग ही छवि बनाती है। ऐसा माना जाता है कि जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तब समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि उसी अमृत की बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों में गिरी जो, नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार हैं l तब से ही यहां कुंभ मेले का आयोजन प्रारम्भ हुआ। यह चारों स्थान आदिदेव महादेव के अलग अलग स्वरूपों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुंभ मेले तीन प्रकार के होते हैं, पहले वो जो हर ६ वर्ष में आयोजित होते हैं अर्द्धकुंभ कहलाते हैं, दूसरे जो हर १२ वर्ष में आयोजित होते हैं पूर्ण कुंभ कहलाते हैं और तीसरा यानी महाकुंभ हर १४४ वर्ष में आयोजित होता है। जो इस वर्ष १३ जनवरी २०२५ से प्रारम्भ होगा और २६ फरवरी २०२५ तक आयोजित रहेगा। महाकुंभ मेले का आयोजन अन्य चार स्थान पर भी होता है जो इस प्रकार हैं , हरिद्वार, नाशिक, उज्जैन, प्रयागराज 
महाकुंभ मेला, जो राक्षसों पर देवताओं की जीत का प्रतीक है, २०२५ में १३ जनवरी २०२५ से शुरू होकर २६ फरवरी २०२५ तक एक बार १२ साल के आयोजन के रूप में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शहरों में आयोजित किया जाएगा, और यह हर १२ साल में आयोजित किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत की लड़ाई १२ साल तक चली थी। मेला क्षेत्र में गतिविधियाँ उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा गठित मेला प्रशासन अधिकारियों द्वारा अखाड़ों को भूमि आवंटन के साथ शुरू हुईं।
महाकुंभ 2025 मेले में 400 मिलियन आगंतुकों के भाग लेने की उम्मीद है और इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़राइल, फ्रांस और कई अन्य देशों से गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे।

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