Tuesday, February 4, 2025

राजा राममोहन राय


राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 में बंगाल के राधा पुर नामक गांव में एक संपन्न ब्राम्हण परिवार में हुआ था उन्होंने संस्कृत की परम्परागत शिक्षा वाराणसी में और अरबी तथा फारसी की शिक्षा पटना में प्राप्त की, राममोहन राय ने न केवल हिंदू धर्म का गहन अध्ययन किया, बल्कि इस्लाम व ईसाई धर्मों का भी गहन अध्ययन किया

उन्होंने बांग्ला, हिंदी, संस्कृत, फारसी तथा अंग्रेजी में अनेक ग्रंथो की रचना की, इनकी कृतियों में ( precept of jesus) प्रमुख हैं इन्होंने बांग्ला भाषा में संबाद कौमुदी नामक सप्ताहिक पत्रिका का भी संपादन किया, राजा राममोहन राय ने 1882 ई. में मीरात - ऊल अखबार और अंग्रेजी में ब्रम्हानिकल पत्रिका प्रकशित की  '' सुभाष चंद्र बोस ने राजा राममोहन राय को युगदूत कहा है '' मुगल शासक अकबर द्वितीय ने राजा राममोहन राय को राजा की उपाधि प्रदान करके तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था इन्हें भारतीय पुनर्जागरण का पिता माना जाता है राजा जी ने मूर्ति पूजा और निरर्थक प्रथाओ तथा रीति - रिवाजों का बहिष्कार किया, '' इन्हें भारतीय राष्ट्रवाद का जनक भी कहा जाता है ये एकेश्वरवाद के समर्थक तथा बहुदेववाद के प्रबल विरोधी थे कोलकात्ता में दो प्रमुख संस्थाओ (1)आत्मीय सभा1814-15 ई. तथा (2) ब्रम्हा समाज 20 अगस्त 1828 की स्थापना की, सामाजिक सुधार के क्षेत्र में राममोहन राय की सबसे बड़ी उपलब्धि 1829 ई. में "सती प्रथा को बेटिक की सहायता से प्रतिबंधित करना था उन्होंने बहुपत्नी प्रथा का विरोध किया वे चाहते थे कि, स्त्रीयों के लिए शिक्षा की व्यवस्था हो और उन्हें सम्पति का उत्तराधिकार मिले

राजा राममोहन राय की मृत्यु 1833 ई. में ब्रिस्टल (इंग्लैंड) नामक स्थान पर हुई थी 

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